
ब्रिटिश नीलामीघर Bonhams अगले महीने एक बेहद दुर्लभ ऑयल पेंटिंग की नीलामी करने जा रहा है – और ये कोई आम पोट्रेट नहीं, बल्कि महात्मा गांधी का ‘एकमात्र’ ऐसा ऑयल पोट्रेट है जिसके लिए उन्होंने खुद पोज़ दिए थे।
गांधी बिक रहे हैं, सवाल यह है कि खरीदेगा कौन? राहुल जाएंगे खरीदने!!
साल 1931 में ब्रिटेन में बनी इस पेंटिंग को प्रसिद्ध ब्रिटिश कलाकार क्लेयर लीटन ने बनाया था। नीलामी घर इसे ऐतिहासिक धरोहर बता रहा है, और बोली काफी ऊंची उड़ान भरने वाली है।
कांग्रेस को चाहिए – एक टिकट लंदन का, नाम राहुल गांधी का!
अब ज़रा सोचिए – गांधी जी की विरासत नीलामी में चली जाए और कांग्रेस चुप बैठी रहे?
ये तो वैसा ही होगा जैसे चुनाव में उतरना हो और घोषणा पत्र में “सोच रहे हैं कुछ करेंगे” लिखा हो। कांग्रेस को चाहिए कि इस विरासत की बोली लगाने के लिए राहुल गांधी को तुरंत लंदन रवाना करे।
वैसे भी उन्हें विदेश की हवा काफी सूट करती है, और वहां वो ‘भारत जोड़ो’ का नया चैप्टर शुरू कर सकते हैं – “गांधी विरासत जोड़ो”।
नीलामी में गांधी, मगर बोली कौन लगाए?
पेंटिंग की कीमत लाखों पाउंड तक जा सकती है। और अगर कांग्रेस इसे नहीं खरीदती, तो हो सकता है कोई कला प्रेमी उद्योगपति इसे उठा ले और अगले चुनाव में बीजेपी के ऑफिस में टांग दे।
क्लाइमेक्स क्या होगा?
2029 में कांग्रेस का घोषणापत्र – “हम गांधी को वापस लाएंगे – दीवार से दीवार तक!”
इतिहास को ‘फ्रेम’ करो, फ्रॉड नहीं
भारत में ‘गांधी’ सिर्फ नाम नहीं, राजनीति की आधारशिला है। और अगर उनके नाम पर वोट मांगे जा सकते हैं, तो उनकी पेंटिंग पर थोड़ा निवेश भी बनता है। शायद कांग्रेस के लिए ये एक लॉन्ग टर्म ब्रांड रिइनफोर्समेंट है – और उनके थिंक टैंक को ये बात समझनी चाहिए कि टीवी डिबेट में गांधी का नाम लेने से बेहतर है, गांधी की पेंटिंग ही खरीद ली जाए।
गांधी बिक रहे हैं, सवाल यह है कि खरीदेगा कौन?
जब देश के राष्ट्रपिता की ऑयल पेंटिंग विदेश में नीलाम हो रही हो, और उनके नाम पर राजनीति करने वाले दल खामोश हों – तो ये लोकतंत्र नहीं, “लॉस-ऑफ-मेमोरी” लगता है।
और हाँ, अगर कांग्रेस इसे खरीदती है, तो पेंटिंग के नीचे एक तख्ती लगाई जाए –
“Presented by Rahul Gandhi – Keeping Gandhi Relevant Since 2025.”
बटन नहीं बैलेट चाहिए! मायावती ने ईवीएम को बताया बीएसपी का ‘वोट चोर’”